एक लडकी अपने पुरुष मित्र से शादी करना चाहती है परन्तु लडकी के परिवार के लोग शादी की इजाजत नहीं दे रहे है। एेसे में लडकी क्या करे ?
यह बात अगर 1955 से पहले का होता , तो कानून उस लडकी की कम ही मदद कर पाता , लेकिन आज हिंदू मैरिज ऐक्ट 1955 के पारित होने के बाद लडकी को पूरा हक है कि वह दुनिया के किसी भी पुरुष के साथ शादी कर सकती है।
दरअसल , हिंदू मैरिज एक्ट 1955 कानून बनने से पहले शादी को एक संस्कार माना जाता था (जो वास्तव में है परन्तु कानून नहीं मानता ) लेकिन अब सरकार में बैठे लोगो ने यह संस्कार और कॉन्ट्रैक्ट दोनों का मिला-जुला रूप दे दिया है।
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इस एक्ट को बनाते वक्त इस बात का ध्यान रखा गया कि सभी तरह के वैवाहिक प्रावधानों की अच्छी बातें इसमें आ जाएं। एक्ट के मुताबिक , हर महिला को इस बात का हक है कि वह अपनी मर्जी से किसी भी पुरुष के साथ शादी कर सकती है और तलाक भी ले सकती है। हालांकि इस मामले में कुछ कंडिशंस को भी पूरा करना होता है।
एक्ट की धारा 5 के अनुसार - कोई महिला (कुंवारी, विधवा या तलाकशुदा) अपनी मर्जी से शादी कर सकती है , लेकिन उसके लिए जरूरी है कि वह कानूनी सहमति देने लायक हो , मानसिक रूप से स्वस्थ हो , उसे ऐसी कोई मानसिक बीमारी न हो जिससे उसे बच्चे पालने में कठिनाई हो और उसकी उम्र कम-से-कम 18 साल हो। इसके अलावा, अपने होने वाले पति के साथ उसका खून का रिश्ता नहीं होना चाहिए।
जहां सप्तपदी का रिवाज है , वहां सातवां फेरा लेते ही शादी पूरी मान ली जाती है।
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पांडिचेरी में सूर्य मारिया थारी और सिरथिरुत्था जैसी विवाह पद्धति प्रचलित हैं। इन पद्धतियों में रिश्तेदारों , दोस्तों और दूसरे लोगों की मौजूदगी में -
- लड़के-लड़की द्वारा अपनी भाषा में जो कम-से-कम दो और लोगों को समझ आती हो , एक-दूसरे के सामने सिर्फ यह कहने से कि मैंने तुम्हें पति या पत्नी स्वीकार किया , विवाह पूरा मान लिया जाता है।
- लड़का-लड़की अगर एक-दूसरे को जयमाल और अंगूठी पहना दें , तो भी उनकी शादी हो जाती है।
- थाली बांधने पर भी विवाह हो जाता है। तमिलनाडु में अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे विवाह ज्यादा प्रचलित हैं।
यहां एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि - तय रीति-रिवाजों के मुताबिक शादी करने के बाद कोर्ट से रजिस्ट्रेशन करा लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद ऐसे रीति-रिवाजों से शादी करने के बाद कोर्ट से रजिस्ट्रेशन कराना सही रहता है।
राज्यों को यह छूट दी गई है कि वे कानून बनाकर अपने यहां विवाह का रजिस्ट्रेशन जरूरी बना दें। इस तरह का कानून महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है।
वीसा-पासपोर्ट जैसे तमाम जरूरी कागजात बनवाने और विवाह व उससे संबंधित बातों को साबित करने में शादी के सर्टिफिकेट का अहम रोल होता है। जायदाद में हिस्सा लेने या पति के मरने पर अपना हक लेने में भी शादी का सर्टिफिकेट बहुत काम आता है।
शादी को रजिस्टर्ड कराने के बाद स्त्री कई तरह के धोखों से बच सकती है। कभी-कभी पति द्वारा दूसरा विवाह कर लिया जाता है , ऐसी स्थिति में भी शादी का रजिस्ट्रेशन मददगार होता है !!
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