मक्का मे विराजित प्रसिद्ध मक्केश्वर महादेव शिवलिंग
मुहम्मद और मुसलमानों के हमले से मक्का और मदीना के आस पास का पूरा इतिहास बदल दिया गया। इस्लाम एक तलवार पे बना धर्म था, है, रहेगा और इसका अंत भी उस से ही होगा। मुसलमाने के पैगम्बर मुहम्मद एक ऐसे विध्वंसक गिरोह का नेतृत्व करते थे जो धन और वासना के पुजारी थे।
इस्लाम ने हिन्दू की
आस्था माने जाने वाले असंख्य मंदिर तोड़े है और उनके स्थान पर उसी मंदिर के
अवशेष से मस्जितों को निर्माण करवाया। इस्लामिक विध्वंशक गतिविधियां इतनी
प्रंचडता के साथ की जाती थी कि तक्षशिला विश्वविद्यालय और सोमनाथ मंदिर
विध्वंश किये गये। इस्लाम नीव इस आधार पर रखी गई कि दूसरों के धर्म का
अनादर करों और उनको नेस्तानाबूत और पवित्र स्थलों को खंडित कर वहाँ मस्जित
और मकबरे का निर्माण किया किया जाए। इस काम बाधा डालने वाले जो लोग भी
सामने आये उन लोगो को मौत के घाट उतार दिया जाये। भले ही वे लोग मुस्लिमो
को परेशान न करते हो।
मुहम्मद और मुसलमानों के हमले से मक्का और मदीना के आस पास का पूरा इतिहास बदल दिया गया। इस्लाम एक तलवार पे बना धर्म था, है, रहेगा और इसका अंत भी उस से ही होगा। मुसलमाने के पैगम्बर मुहम्मद एक ऐसे विध्वंसक गिरोह का नेतृत्व करते थे जो धन और वासना के पुजारी थे।
मुहम्मद ने मदीना से मक्का के शांतिप्रिय मुर्तिपूजकों जो उनके खानदान के थे पर हमला किया और जबरदस्त
नरसंहार किया। मक्का का मदीना के अपना अगल अस्तितव था किन्तु मुहम्मद साहब
के हमले के बाद मक्का मदीना को एक साथ जोड़कर देखा जाने लगा। जबकि मक्का के
लोग जो कि शिव के उपासक माने जाते है। मुहम्मद की टोली ने मक्का में
स्थापित कर वहां पे स्थापित की हुई 360 में से 359 मूर्तियाँ नष्ट कर दी और
सिर्फ काला पत्थर सुरक्षित रखा क्योंकि लाख कोशिशो के बाद भी उसे नष्ट नहीं कर सके थे जो प्रमाणित है। जिसको आज भी मुस्लिमों द्वारा पूजा जाता
है।
उसके अलावा अल-उज्जा, अल-लात और मनात नाम की तीन देवियों के मंदिरों को नष्ट करने का आदेश भी मुहम्मद ने दिया और आज उन मंदिरों का नामो निशान नहीं है (हिशम इब्नअल-कलबी, 25-26)।
इतिहास में यह किसी हिन्दू मंदिर पर सबसे पहला इस्लामिक आतंकवादी हमला था। उस काले पत्थर की तरफ आज भी मुस्लिम श्रद्धालु अपना शीश झुकाते है। किसी हिंदू पूजा के
दौरान बिना सिला हुआ वस्त्र या धोती पहनते हैं, उसी तरह हज के दौरान भी
बिना सिला हुआ सफेद सूती कपड़ा ही पहना जाता है।
मुसलमानों के सबसे बड़े तीर्थ मक्का जहां मक्केश्वर महादेव का मंदिर था। वहां
काले पत्थर का विशाल शिवलिंग था जो खंडित अवस्था में अब भी वहां है। हज के
समय संगे अस्वद (संग अर्थात पत्थर, अस्वद अर्थात अश्वेत यानी काला) कहकर
मुसलमान उसे ही पूजते और चूमते हैं।
इस सम्बन्ध में प्रख्यात प्रसिद्ध इतिहासकार स्व0 पी.एन.ओक ने अपनी पुस्तक ‘वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास’ में समझाया है कि मक्का और उस इलाके में इस्लाम के आने से पहले से मूर्ति पूजा होती थी। हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर थे, गहन रिसर्च के बाद उन्होंने यह भी दावा किया कि काबा में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है।
इस सम्बन्ध में प्रख्यात प्रसिद्ध इतिहासकार स्व0 पी.एन.ओक ने अपनी पुस्तक ‘वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास’ में समझाया है कि मक्का और उस इलाके में इस्लाम के आने से पहले से मूर्ति पूजा होती थी। हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर थे, गहन रिसर्च के बाद उन्होंने यह भी दावा किया कि काबा में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है।
मोहम्मद ने हमला कर मक्का की मूर्तियां तोड़ी थीं। यूनान और भारत
में बहुतायत में मूर्ति पूजा की जाती रही है, पूर्व में इन दोनों ही देशों
की सभ्यताओं का दूरस्थ इलाकों पर प्रभाव था। ऐसे में दोनों ही इलाकों के
कुछ विद्वान काबा में मूर्ति पूजा होने का तर्क देते हैं। हज करने वाले लोग
काबा के पूर्वी कोने पर जड़े हुए एक काले पत्थर के दर्शन को पवित्र मानते
हैं जो कि हिन्दूओं का पवित्र शिवलिंग है। वास्तव में इस्लाम से पहले
मिडिल-ईस्ट में पीगन जनजाति रहती थी और वह हिंदू रीति-रिवाज को ही मानती
थी। एक प्रसिद्ध मान्यता के अनुसर है कि काबा में “पवित्र गंगा” है।
जिसका निर्माण रावण ने किया था, रावण शिव भक्त था वह शिव के साथ
गंगा और चन्द्रमा के महात्म को समझता था और यह जानता था कि कि कभी शिव को
गंगा से अलग नही किया जा सकता। जहाँ भी शिव होंगे, पवित्र गंगा की अवधारणा
निश्चित ही मौजूद होती है। काबा के पास भी एक पवित्र झरना पाया जाता है,
इसका पानी भी पवित्र माना जाता है।
इस्लामिक काल से पहले भी इसे पवित्र
(आबे ज़म-ज़म) ही माना जाता था। रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव
ने रावण को एक शिवलिंग प्रदान किया जिसें लंका में स्थापित करने का कहा और बाद जब रावण आकाश मार्ग से लंका की ओर जाता है पर
रास्ते में कुछ ऐसे हालत बनते हैं की रावण को शिवलिंग धरती पर रखना पड़ता
है। वह दुबारा शिवलिंग को उठाने की कोशिश करता है पर खूब प्रयत्न करने पर
भी लिंग उस स्थान से हिलता नहीं।
वेंकटेश पण्डित के अनुसर यह स्थान वर्तमान
में सऊदी अरब के मक्का नामक स्थान पर स्थित है। सऊदी अरब के पास ही यमन
नामक राज्य भी है जहाँ श्री कृष्ण ने कालयवन नामक राक्षस का विनाश किया था।
जिसका जिक्र श्रीमदभगवत पुराण में भी आता है। पहले राजा भोज ने मक्का में जाकर वहां स्थित प्रसिद्ध शिव लिंग मक्केश्वर महादेव का पूजन किया था, इसका वर्णन भविष्य-पुराण में निम्न प्रकार है :-
"नृपश्चैवमहादेवं मरुस्थल निवासिनं !
गंगाजलैश्च संस्नाप्य पंचगव्य समन्विते :
चंद्नादीभीराम्भ्यचर्य तुष्टाव मनसा हरम !
इतिश्रुत्वा स्वयं देव: शब्दमाह नृपाय तं!
गन्तव्यम भोज राजेन महाकालेश्वर स्थले !!"
एक कथा के अनुसार श्री रामचन्द्र जी के छोटे भाई लक्ष्मण जी ने रावण की बहन शूपर्णखा की नाक काटी थी, वह रावण के वध के बाद वहा चली गई थी आैर अपना पुरा जीवन वही पर रही आैर वंश की स्थापना की। कहा जाता है की नाक को छुपाने के लिए हमेशा मुंह पर कपडा बांधे रखती थी। यह भी एक प्रमाण है की उसी रीति के अनुसार आज भी मुस्लिम समाज की आैरते मुंह ढक कर रखती है।।
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इस्लाम की आलोचना हमेशा होती रही है।
मुहम्मद
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