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27 April 2015

NGO क्या है आैर इसे शुरू करने के लिए क्या करना पड़ता है

NGO  का मतलब नांन गवर्नमेंट आर्गनाइजेशन होता है,  जो किसी सामाजकि कार्य के लिए बनाया जाता है।
एन.जी.ओ का शाब्दिक अर्थ गैर सरकारी संगठन है।
इस का विकास -  अमरीका से हुआ । अमरीका में सरकार बहुत से सामाजिक कार्य स्वयं करने के स्थान पर इन संगठनों के माध्यम से अनुदान दे कर कराती है।
इस कारण से वे लाभ या व्यवसाय के कामों के अतिरिक्त अन्य कार्यों को करने के उद्देश्य से निर्मित गैर सरकारी संगठन जो कि सरकार से या किसी धनी संस्था से अनुदान प्राप्त कर के सामाजिक कार्य करते हैं एन.जी.ओ कहे जाते हैं।

कोई एक व्यक्ति एन.जी.ओ नहीं होता है मतलब खोल नहीं सकता है अपितु एक संस्था के रूप में पंजीकृत होने के बाद विधिक व्यक्ति बन जाता है। भारत में लगभग सभी एन.जी.ओ सोसायटीज एक्ट के अन्तर्गत बनाए जाते हैं। इस के लिए केन्द्रीय कानून सोसायटीज एक्ट है तथा राजस्थान में राजस्थान सोसायटीज एक्ट बना हुआ है।

कोई भी 7 या अधिक व्यक्ति आपस में मिल कर कोई सोसायटी बना सकते हैं और सोसायटीज एक्ट के अन्तर्गत उसे पंजीकृत करवा सकते हैं। सोसायटी बनाने के लिए यह स्पष्ट करना जरूरी होता है कि उस संगठन की कार्यकारी समिति कैसे बनेगी और कैसे कार्य  करेगी, उस के लिए धन कैसे एकत्र किया जाएगा और कैसे खर्च किया जाएगा आदि आदि।
इस के लिए नियम बनाने होते हैं और उन्हें पंजीकृत करवाना होता है।

राजस्थान में सहकारी समिति के पंजीयक, अतिरिक्त पंजीयकों और डिप्टी पंजीयकों को ही सोसायटीज एक्ट के अंतर्गत पंजीयक बना रखा है। आप उन के कार्यालय से नमूने के नियम की प्रतिलिपि, आवेदन पत्र की प्रति प्राप्त कर सकते हैं और उस में अपने अनुरूप संशोधन कर के अपने नियम बना कर सोसायटी का पंजीयन करवा सकते हैं।
हर राज्य में एन.जी.ओ के रजिस्ट्रेशन और मान्यता के नियम और प्रक्रिया अलग-अलग हो सकते है, इसलिए अपने राज्य के नियमों का पालन करें, लेकिन सामान्य नियम ये है कि पहले एनजीओ की बैठक करनी पड़ती है।

एन.जी.ओ गठन के लिए आवशयक -

  • कम से कम 7 सदस्य होने चाहिए।
  • बैठक में एन.जी.ओ के लक्ष्य, उद्देश्य के अलावा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष, सलाहकार, सदस्य आदि तय करने होते हैं। 
  • बैठक में एन.जी.ओ के गठन का प्रस्ताव पास करना होता है। प्रस्ताव पर सभी सदस्यों के हस्ताक्षकर के अलावा एन.जी.ओ का नाम और गठन की तारीख भी होनी चाहिए।
  • चैरिटी कमिश्नर या असिस्टेंट चैरिटी कमिश्नर के दफ्तर से आवेदन फार्म खरीदना होता है।
फार्म को भरने के दौरान कुछ और कागजात चाहिये होते हैं - 
  • अध्यक्ष या सचिव के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी  
  • सभी सदस्यों या ट्रस्टियों का सहमति पत्र , प्रस्ताव देना होता है।
  • जिस पते पर एनजीओ रजिस्टर किया जाता है उस भवन के स्वामी का अनापत्ति प्रमाणपत्र भी जरूरी है।
  • एक 20 रुपये के एक नॉन ज्यूडिशियल स्टेम्प पर एनजीओ की सभी चल और अचल संपत्तियों का ब्योरा देना होता है।
इसके बाद  दफ्तर में रजिस्ट्रेशन ऑफ सोसायटीज एक्ट और राज्यों के पब्लिक ट्रस्ट के तहत आवेदन किया जाता है।
रजिस्ट्रेशन के बाद बैंक में खाता खुलवाना पडता है जिससे आर्थिक मदद के लिए आया धन जमा हो सके।
सोसायटी के केस में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट एक महीने में और ट्रस्ट के मामले में दो महीने में मिल जाता है।

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