सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) भारत के संसद द्वारा पारित कानून है जो 12 अक्तूबर, 2005 को लागू हुआ।
जम्मू एवं काश्मीर मे यह जम्मू एवं काश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम २०१२ के अन्तर्गत लागू है।
इस अधिकार के तहत प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है और उसे यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य करती है, इसकी क्या भूमिका है, इसके क्या कार्य हैं आदि।
सूचना का अधिकार अधिनियम(RTI) एक लोक प्राधिकरण द्वारा धारित सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है।
सूचना का अधिकार अधिनियम(RTI) एक लोक प्राधिकरण द्वारा धारित सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है।
जम्मू एवं काश्मीर मे यह जम्मू एवं काश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम २०१२ के अन्तर्गत लागू है।
आर.टी.आई (RTI) का क्या अर्थ है
सूचना का अधिकार और इसे संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है -
सरकारी रेकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने ,
उसे प्रमाणित प्रतियों में प्राप्त करने का अधिकार ,
सामग्री के प्रमाणित नमूनों की मांग
दस्तावेजों के निरीक्षण !! के लिए भी फीस का प्रावधान है. निरीक्षण के पहले घंटे की कोई फीस नहीं है लेकिन उसके पश्चात् प्रत्येक घंटे या उसके भाग की 5रु. प्रतिघंटा फीस होगी. यह केन्द्रीय कानून के अनुसार है. प्रत्येक राज्य के लिए, सम्बंधित राज्य के नियम देखें. आप फीस नकद में, डीडी या बैंकर चैक या पोस्टल आर्डर जो उस जन प्राधिकरण के पक्ष में देय हो द्वारा जमा कर सकते हैं.
सूचना कितने दिनों में प्राप्त होगी -
सूचना का अधिकार और इसे संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है -
सरकारी रेकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने ,
उसे प्रमाणित प्रतियों में प्राप्त करने का अधिकार ,
सामग्री के प्रमाणित नमूनों की मांग
दस्तावेजों के निरीक्षण !! के लिए भी फीस का प्रावधान है. निरीक्षण के पहले घंटे की कोई फीस नहीं है लेकिन उसके पश्चात् प्रत्येक घंटे या उसके भाग की 5रु. प्रतिघंटा फीस होगी. यह केन्द्रीय कानून के अनुसार है. प्रत्येक राज्य के लिए, सम्बंधित राज्य के नियम देखें. आप फीस नकद में, डीडी या बैंकर चैक या पोस्टल आर्डर जो उस जन प्राधिकरण के पक्ष में देय हो द्वारा जमा कर सकते हैं.
सूचना कितने दिनों में प्राप्त होगी -
सूचना मांगने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया है। यदि सूचना 30 दिनों न मिले या अपूर्ण सूचना मिले , भ्रामक या झूठी जानकारी दी गई हो तो -
आप 30 दिन बाद उसी विभाग के अपीलय अधिकारी के पास अपील कर सकते है, जिसकी समय सीमा भी 30 दिन की है।
इसके लिए आपको अलग से कोई फीस नहीं देनी होगी व नकल फ्री मिलेगी।
यदि फिर भी सूचना उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है तो आप निम्नलिखित विकल्पों का उपयोग करते हुए -
राज्य सूचना आयोग ,
केन्द्रीय सूचना आयोग (सी.आई.सी)
के समक्ष अपील / शिकायत दर्ज करा सकते है।
अपनी अर्जी मैं कहाँ जमा करुँ ?
केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को ए.पी.आई.ओ बनाया गया है. अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आर.टी.आई (RTI) पटल पर अपनी अर्जी व फीस जमा करा सकते हैं. वे आपको एक रसीद व आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित पी.आई.ओ के पास भेजे।
या जिस विभाग से सूचना चाहते है उस विभाग के सहायक सूचना अधिकारी या लोक सूचना अधकिारी के पास स्पीड पोस्ट डाक से भेजे , या खुद जा कर दे आैर दूसरी प्रति पर रिसीवड जरुर प्राप्त करे।
या जिस विभाग से सूचना चाहते है उस विभाग के सहायक सूचना अधिकारी या लोक सूचना अधकिारी के पास स्पीड पोस्ट डाक से भेजे , या खुद जा कर दे आैर दूसरी प्रति पर रिसीवड जरुर प्राप्त करे।
अर्जी देने के समय फीस है ?
केंद्र सरकार के विभागों के लिए यह 10रु. है। ज्यादातर राज्यों में भी 10 रुपये फीस ही लगती है।
इस फीस को पोस्टल आर्डर के जरीये ही भेजनी चाहिए।
सूचना प्राप्ती के लिए फीस -
यह आपको विभाग सूचित करेगा की आपके कितने पेज हुए है आैर आपको कितने रुपये देने है।
आपको प्रति सूचना 2रु प्रति पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है एंव लगभग राज्यों में भी 2रु प्रति पृष्ठ है।
इसके लिए भी आपको पोस्टल आर्डर देने होगे या खुद जा कर सूचना प्राप्त करते है तो नगद रुपये जमा करा रसीद ले सकते है।
सूचना प्राप्ति की समय सीमा है
इस फीस को पोस्टल आर्डर के जरीये ही भेजनी चाहिए।
सूचना प्राप्ती के लिए फीस -
यह आपको विभाग सूचित करेगा की आपके कितने पेज हुए है आैर आपको कितने रुपये देने है।
आपको प्रति सूचना 2रु प्रति पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है एंव लगभग राज्यों में भी 2रु प्रति पृष्ठ है।
इसके लिए भी आपको पोस्टल आर्डर देने होगे या खुद जा कर सूचना प्राप्त करते है तो नगद रुपये जमा करा रसीद ले सकते है।
सूचना प्राप्ति की समय सीमा है
यदि आपने अपनी अर्जी पी.आई.ओ को दी है, आपको 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए।
यदि आपने अपनी अर्जी सहायक पी.आई.ओ को दी है तो सूचना 35 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए।
उन मामलों में जहाँ सूचना किसी एकल के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करती हो, सूचना 48 घंटों के भीतर उपलब्ध करवाने का प्रवाधान है।
यदि आपने अपनी अर्जी सहायक पी.आई.ओ को दी है तो सूचना 35 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए।
उन मामलों में जहाँ सूचना किसी एकल के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करती हो, सूचना 48 घंटों के भीतर उपलब्ध करवाने का प्रवाधान है।
आपको सूचना प्राप्ति के पश्चात् क्या करना चाहिए ?
इसके लिए कोई एक उत्तर नहीं है। यह आप पर निर्भर करता है कि आपने वह सूचना क्यों मांगी व यह किस प्रकार की सूचना है।
प्राय: सूचना पूछने भर से ही कई वस्तुएं रास्ते में आने लगतीं हैं. उदाहरण के लिए, केवल अपनी अर्जी की स्थिति पूछने भर से आपको अपना पासपोर्ट या राशन कार्ड मिल जाता है. कई मामलों में, सड़कों की मरम्मत हो जाती है जैसे ही पिछली कुछ मरम्मतों पर खर्च हुई राशि के बारे में पूछा जाता है. इस तरह, सरकार से सूचना मांगना व प्रश्न पूछना एक महत्वपूर्ण चरण है, जो अपने आप में कई मामलों में पूर्ण है।
प्राय: सूचना पूछने भर से ही कई वस्तुएं रास्ते में आने लगतीं हैं. उदाहरण के लिए, केवल अपनी अर्जी की स्थिति पूछने भर से आपको अपना पासपोर्ट या राशन कार्ड मिल जाता है. कई मामलों में, सड़कों की मरम्मत हो जाती है जैसे ही पिछली कुछ मरम्मतों पर खर्च हुई राशि के बारे में पूछा जाता है. इस तरह, सरकार से सूचना मांगना व प्रश्न पूछना एक महत्वपूर्ण चरण है, जो अपने आप में कई मामलों में पूर्ण है।
लेकिन यदि आपने आर.टी.आई से किसी भ्रष्टाचार या गलत कार्य का पर्दाफ़ाश किया है, आप सतर्कता एजेंसियों, सी.बी.आई को शिकायत कर सकते हैं या एफ़.आई.आर भी करा सकते हैं, कई बार देखा गया है कि सरकार दोषी के विरुद्ध शिकायतों के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं करती।निसदेंह देश का दुर्भाग्य है।
अधिकारियों को स्पष्ट सन्देश मिलता है कि उस क्षेत्र के लोग अधिक सावधान हो गए हैं और भविष्य में इस प्रकार की कोई गलती पूर्व की भांति छुपी नहीं रहेगी , इसलिए उनके पकडे जाने का जोखिम बढ जाता है।
- सतर्कता एजेंसियों पर शिकायत करने के बाद कोई कार्यवाही नहीं होने पर आप न्यायालय की शरण में जा सकते है।
- गलत कार्यों का पर्दाफाश मीडिया के जरिए भी किया जा सकता है।
अधिकारियों को स्पष्ट सन्देश मिलता है कि उस क्षेत्र के लोग अधिक सावधान हो गए हैं और भविष्य में इस प्रकार की कोई गलती पूर्व की भांति छुपी नहीं रहेगी , इसलिए उनके पकडे जाने का जोखिम बढ जाता है।
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