जानते है गांधी की कुछ महानताए
1. शहीद-ए-आजम भगतसिंह को फांसी दिए जाने पर अहिंसा के महान पुजारी गांधी ने कहा था " हमें ब्रिटेन के विनाश के बदले अपनी आजादी नहीं चाहिए।’’
और आगे कहा. . .‘‘भगतसिंह की पूजा से देश को बहुत हानि हुई और हो रही है वहीं (फांसी) इसका परिणाम गुंडागर्दी का पतन है। ऐसे बदमाशो को फांसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे" ।
भगत सिंह की फांसी को रोकने के लिए जब जनता ने गांधी पर दबाव बनाया तो गांधी ने " उग्रवादी " कहा।
अर्थात् गांधी की परिभाषा में किसी को फांसी देना हिंसा नहीं थी ।
2. क्रांतिकारी जतिनदास को जब आगरा में अंग्रेजों ने शहीद किया तो गांधी आगरा में ही था और जब गांधी को उनके पार्थिक शरीर पर माला चढ़ाने को कहा गया तो साफ इनकार कर दिया अर्थात् उस नौजवान द्वारा खुद को देश के लिए कुर्बान करने पर भी गांधी के दिल में किसी प्रकार की दया और सहानुभूति नहीं उपजी, ऐसे थे हमारे अहिंसावादी गांधी।
3. गांधी ने कहा था. . . . .“ पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा ” लेकिन पाकिस्तान उनके समर्थन से ही बना । ऐसे थे हमारे सत्यवादी गांधी ।
4. गांधी ने अपने जीवन में तीन आन्दोलन (सत्याग्रह) चलाए और तीनों को ही बीच में वापिस ले लिया गया फिर भी लोग कहते हैं कि आजादी गांधी ने दिलवाई।
इतिहासकार CR मजूमदार लिखते हैं “भारत की आजादी का सेहरा गांधी के सिर बांधना सच्चाई से मजाक होगा।
5. जब देश के महान सपूत उधमसिंह ने इंग्लैण्ड में माईकल डायर को मारा तो गांधी ने उन्हें पागल कहा ।
सत्याग्रह व चरखे से आजादी दिलाई बहुत बड़ी मूर्खता होगी।
इसलिए गांधी को आजादी का ‘हीरो’ कहना उन क्रान्तिकारियों का अपमान है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया।
”यदि चरखों की आजादी की रक्षा सम्भव होती है तो बार्डर पर टैंकों की जगह चरखे क्यों नहीं रखवा दिए जाते. . . . . .?
27 फरवरी 1931 के दिन आज़ाद ने नेहरू से मुलाकात की।
ठीक इसी दिन आज़ाद ने नेहरू के सामने भगत सिंह की फांसी को रोकने की विनती की।
बैठक में आज़ाद ने पूरी तैयारी के साथ भगत सिंह को बचाने का सफल प्लान रख दिया।
जिसे देखकर नेहरू हक्का -बक्का रह गया क्यूंकि इस प्लान के तहत भगत सिंह को आसानी से बचाया जा सकता था। नेहरू ने आज़ाद को मदद देने से साफ़ मना कर दिया इस पर आज़ाद नाराज हो गए और नेहरू से जोरदार बहस हो गई फिर आज़ाद नाराज होकर अपनी साइकिल पर सवार होकर अल्फ्रेड पार्क की होकर निकल गए।
नेहरु के घर से बहस करके निकल कर पार्क में 15 मिनट अंदर भारी पुलिस बल आज़ाद को पकड़ने के लिए पहुच गई। स्पष्ट है की बिना नेहरू की गद्दारी के पुलिस नहीं पहुच सकती थी। नेहरू ने पोलिस को खबर दी कि आज़ाद इस वक्त पार्क में है।
मैं रवि कुमार यह स्वीकार करता हूँ कि मैं ऐसे झूठे, मक्कार, गद्दार पाखण्डी को कभी राष्ट्रपिता के रूप में स्वीकार नहीं करता हूँ ।
अगर आप सहमत है तो इसकी सच्चाई को "Share" कर देश के सामने पाखण्डी को उजागर करें।
जब नमक खरीदने जाते है तो टाटा नमक , टुथपेस्ट में ज्यादातर कोलगेट का नाम मुंह पर चढा है। क्योंकी विज्ञापन ने हमारे दिमाग पर प्रभाव डाल दिया है। उसी प्रकार से गांधी जिसे नेहरु खानदान ने झूठे मक्कार गद्दार पाखण्डी को सही पढाया।
पढे
आजादी के बाद का सच्चा देशभगत कौन था.
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