पुराने समय के हुक्के को देखा तो लगा कि उस जमाने में कितनी अच्छी तकनीक काम में ली गई थी। यह हुक्का कभी बुजुर्गों की शान होती थी।
हुक्का काम कैसे करता है जानते है - हुक्के के उपर के भाग में तम्बाकु जलता है। जिसकी नली नीचे एक बर्तन में आती है उस बर्तन में पानी भरा होता है। एक दूसरी नली जो पानी में डुबी रहती है उससे फुक खिची जाती है। इस प्रक्रिया से तम्बाकु का जहरीला पदार्थ पानी में रह जाता है।
उसको देखने के बाद लगा की आज के वाहन जिनके साइलेंसर से जहरीला धुआ निकलता है, इस प्रकिया को अपना कर जहरीले धुए को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
एक ऐसा यंत्र तैयार किया जा सकता है, जिसे वाहन में लगाते ही प्रदूषण की मात्रा कम हो जाती है। इस यंत्र लगाने पर प्रदूषण लेवल में 30 फीसदी या इससे कई ज्यादा कमी आ सकती है।
इस तकनीक को गाड़ियों, फैक्ट्रियों में भी प्रयोग किया जाए तो एयर पॉल्युशन 60 से 70 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इस तरह हम वायु प्रदूषण से धरती की रक्षा कर सकते हैं।
रवि कुमार
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