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06 April 2015

इंदिरा

पार्ट 3
इंदिरा प्रियदर्शिनी को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था लेकिन वहां से बेकार प्रदर्शन के लिए बाहर निकाल दिया गया!.बाद में उसे शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन, रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उसे वहां से खराब आचरण के लिए बहर निकाल दिया।

उसकी माँ की तपेदिक से मृत्यु हो चुकी थी और बाप राजनीति में व्यस्त था! इस अकेलेपन में उसे साथ मिला फ़िरोज़ खान नाम के एक युवक का जो उन दिनों मोतीलाल नेहरु की हवेली में शराब आदि की सप्लाई करने वाले एक पंसारी नवाब खान का बेटा था! फिर महाराष्ट्र के राज्यपाल डा. श्रीप्रकाश ने नेहरू को इस बारे में चेतावनी भी दी थी कि इंदिरा का फिरोज खान के साथ एक अवैध संबंध चल रहा था!

इंदिरा ने अपना धर्म फिर से बदल लिया और मुस्लिम धर्म अपना कर फिरोज से लंदन की एक मस्जिद में शादी कर ली ! अब इंदिरा प्रियदर्शनी नेहरु का नाम बदल कर मैमुना बेगम हो चुका था! जवाहर लाल  भी परेशान था क्यूंकि इससे फिर उसके राजनितिक जीवन पर असर पड़ना था!

जवाहर लाल ने फ़िरोज़ खान को उसका उपनाम बदल कर गाँधी रखने को कहा! और उसे विश्वास दिलवाया कि सिर्फ उपनाम खान की जगह गाँधी इस्तेमाल करो ! यह सिर्फ एक एफिडेविट से नाम बदलने जैसा था! फ़िरोज़ खान अब फ़िरोज़ गाँधी बन गया। भारत की जनता को बेवकूफ बनाने के लिए हिन्दू विधि विधान से शादी कर दी गई!


केथरीन फ्रेंक की एक किताब “The Life of Indira Nehru Gandhi” (ISBN: 9780007259304) में लिखा गया है कि -

  •  इंदिरा गाँधी का पहला चक्कर पहली बार अपने जर्मन के अध्यापक के साथ चला था।
  • बाद में जवाहर लाल के सेक्रेट्री एम् ओ मैथई के साथ भी उसका प्रेम परवान चढ़ा।
  • योग के अध्यापक धीरेन्द्र ब्रह्मचारी 
  • और उसके बाद विदेश मंत्री दिनेश सिंह के साथ इनका प्रेम परवान चढ़ा!
विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक “Profile and Letters” (ISBN: 8129102358) में मुगलों के प्रति इंदिरा गांधी का आदर के संबंध के बारे में एक दिलचस्प बात कही - 1968 में प्रधान मंत्री रहते इंदिरा गाँधी अफगानिस्तान कि अदिकारिक यात्रा पर गयी तब नटवर सिंह उनके साथ अधिकारी के तौर पर गए हुए थे! सभी कार्यक्रमों के बाद इंदिरा ने बाबर कि दफंनगाह को देखने कि इच्छा जाहिर कि , हालाकी ये उनके कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थी। एक सुनसान जगह थी, वह वहां कुछ देर तक अपना सिर श्रदा में झुकाए खड़ी रही! फिर नटवर सिंह से बोली कि आज वो अपने इतिहास से मिलके आई है। बाबर को ही हिंदुस्तान में मुग़ल सल्तनत का संस्थापक माना जाता है।

इस परिवार के उस झोल-झाल देखे -
इंदिरा गाँधी को हुए दो बेटे हुए राजीव गाँधी और संजय गाँधी!
संजय गाँधी का असली नाम  संजीव  था । यह संजय कैसे बना -
संजीव ब्रिटेन के अन्दर कार चोरी के केस में पकड़ा गया और इसका पासपोर्ट जब्त कर दिया गया। इंदिरा गांधी के निर्देश पर, तत्कालीन भारतीय ब्रिटेन के राजदूत कृष्णा मेनन ने वहां प्रभाव का दुरुपयोग करके , संजीव गाँधी का नाम बदलकर संजय कार दिया और एक नया पासपोर्ट जारी कार दिया! इस प्रकार संजीव गाँधी से संजय गाँधी के नाम से जाना जाने लगा!
इंदिरा गाँधी के दोनों सपूत राजीव गाँधी और संजय गाँधी सगे भाई थे या नहीं ये बात जग जाहिर थी कि जब राजीव गाँधी का जन्म हुआ तब इंदिरा गाँधी और उसके पति फिरोज (खान) गाँधी अलग अलग रह रहे थे, लेकिन उनमें तलाक नहीं हुआ था!
“The Nehru Dynasty” (ISBN 10:8186092005) किताब में जे. एन. राव कहते हैं कि इंदिरा गाँधी का जो दूसरा बेटा था, संजय  वो फिरोज खान कि औलाद नहीं था! बल्कि वो एक दुसरे महानुभाव मोहम्मद युनुस के साथ अवैध संबंधों के चलते हुए था!
संजय की शादी एक सिखनी मेनका के साथ मोहम्मद युनुस के ही घर पर दिल्ली में हुई थी! जाहिर तौर पर युनुस इस शादी से ज्यादा खुश नहीं था क्यूंकि वो संजय कि शादी अपनी पसंद की एक मुस्लिम लड़की से करवाना चाहता था!
जब संजय गाँधी की प्लेन दुर्घटना में मौत हुई तब मोहम्मद युनुस ही सबसे ज्यादा रोया था!
युनुस की लिखी एक किताब “Persons, Passions & Politics” (ISBN-10: 0706910176) से साफ़ पता चलता है कि बचपन में संजय  का मुस्लिम रीती रिवाज के अनुसार खतना किया गया था!
संजय गांधी लगातार अपनी मां इंदिरा गांधी को अपने असली पिता के नाम पर ब्लैकमेल किया करता था! संजय का अपनी माँ पर पर गहरा भावनात्मक नियंत्रण था जिसका संजय ने जमकर दुरूपयोग किया।
माँ की ममत्व के लिए कलंकित का एक उदाहरण —  जब संजय गाँधी कि प्लेन दुर्घंतना के साथ उसकी मौत कि खबर इंदिरा गाँधी तक पहुंची तो इंदिरा गाँधी के पहले बोल थे- उसकी घडी और चाबियाँ कहाँ है!
अवस्य ही उन वस्तुवों में भी इस खानदान के कुछ राज छुपे हुए होंगे!
संजय गाँधी कि प्लेन दुर्घटना भी पूर्ण रूप से रहस्यमय थी! संजय  का प्लेन गोता लगते हुए बिना किसी चीज से टकराए क्रेश हो गया!  ऐसा सिर्फ उस स्थिति में होता है जब विमान में इंधन ख़तम हो जाये! लेकिन उस समय का उड़ान रजिस्टर बताता है कि उड़ने से पहले ही टेंक पूरा भरा गया था! और बाद में इंदिरा गाँधी ने अपने प्रभाव का इन्स्तेमाल करते हुए जाँच खत्म कर दी!
राजीव गांधी
उच्च शिक्षा के कितने संस्थानों के नाम इनके चापलूसों ने राजीव गाँधी के नाम पर रख दिए। अपने जीवन में राजीव गाँधी खुद एक कम क्षमता और पढ़ाई कमज़ोर था! 1962 से 1965तक उसने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में एक यांत्रिक अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम के लिए दाखिला लिया था  लेकिन उसने डिग्री के बिना कैम्ब्रिज छोड़ दिया क्योंकि वह परीक्षा पास नहीं कर सका.  1966 में अगले वर्ष, वह इंपीरियल कॉलेज, लंदन में दाखिल हुआ लेकिन फिर से डिग्री के बिना छोड़ दिया!
के.एन. राव ने अपनी पुस्तक में साफ़ कहा कि राजीव गांधी साेनिया मैनो से शादी करने के लिए एक कैथोलिक बन गया  और उसका नाम रखा गया रॉबर्टो ।
इसके बेटे का नाम राहुल आैर बेटी का नाम BIANCA जो अब प्रियंका है। सोनिया ने अपनी पुत्री का विवाह ईसाई से करवाया है जो जग जाहिर है।
15 अगस्त 1988 पर वह लाल किले से अपने भाषण में बोलता है–  हमारा उद्देश्य इस देश को उन ऊँचाइयों पर ले जाना है जहाँ ये 250-300 साल पहले था। ये तब कि बात है जब औरंगजेब का शासन था।
भारत में प्रधानमंत्री बनने के बाद ब्रिटेन में हुई एक प्रेस कोंफ्रेंस में राजीव गाँधी ने दावा किया कि वो हिन्दू नहीं बल्कि पारसी है।
फिरोइज़ खान के पिता (राजीव के दादा) गुजरात के जुनागड़ के एक मुस्लिम  थे! पंसारी का काम करने वाले इस ने एक पारसी महिला से शादी कि थी  शायद यही से ही राजीव ने अपनी ये पारसी होने कि काल्पनिक कहानी घडी! वैसे इसके पुरखों में कोई भी पारसी नहीं रहा! और राजीव का अन्तिकम संस्कार पुरे भारत के सामने हिन्दू विधि विधान से हुआ है!

अब आप ही अंदाजा लगाये कि यह क्या है ?








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