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28 October 2016

जयप्रकाश नारायण ने एेसा क्या किया जो आपातकाल जरुरी हो गया !

जयप्रकाश नारायण ने  सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा दिया -

क्रान्ति शब्द नया नहीं था, लेकिन ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ नया था। 

सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल थी  - 

राजनैतिक,  आर्थिक,  सामाजिक,  सांस्कृतिक,  बौद्धिक,  शैक्षणिक  व  आध्यात्मिक क्रांति।

एक  नारा बनाया गया  था -

जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो।
समाज के प्रवाह को नयी दिशा में मोड़ दो।
क्या हुआ इस नारे का ?

उस समय लालू यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और सुशील कुमार मोदी, आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।

जनसभा में देश की गिरती हालत, प्रशासनिक भ्रष्टचार, महंगाई, बेरोजगारी, अनुपयोगी शिक्षा पध्दति और प्रधान मंत्री द्वारा अपने ऊपर लगाये गए आरोपों का सविस्तार उत्तर देते हुए जयप्रकाश नारायण ने बेहद भावातिरेक में जनसाधारण का पहली बार ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ के लिये आह्वान किया।

जे.पी. ने कहा-  " यह क्रान्ति है मित्रों! और सम्पूर्ण क्रान्ति है। विधान सभा का विघटन मात्र इसका उद्देश्य नहीं है। यह तो महज मील का पत्थर है। हमारी मंजिल तो बहुत दूर है और हमें अभी बहुत दूर तक जाना है। "

5 जून को जे. पी. ने घोषणा की -   भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रान्ति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं ,  क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए। और, सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति- ’सम्पूर्ण क्रान्ति’ आवश्यक है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना मोर्चा खोलने वाले जे.पी का शिष्य होने का दावा करने वाले -

  • लालू चारा घोटाले में सजायाफ्ता हैं । बेतुके बोल आैर देश विदेश में जोकर की उपाधि प्राप्त है। 
  • नीतीश विकास पुरुष के रूप में खुद को प्रोजेक्ट करने वाले आज लालू की गोद में बैठ कर साम दाम से मोदी को रोकने में जुटे हुए हैं । 
  • पासवान जो सत्ता में होता है उसका पल्ला पकड़ लेने वाले दलगत और मतलब परस्त राजनीति करने वाले।
  • शिवानन्द तिवारी कभी लालू के साथ तो कभी नीतीश के साथ।
क्या यही जे.पी. के शिष्य है  ?  बिहार में हो रहे इस चुनाव के ज्यादातर नायक कभी जे.पी के चेले रहे हैं। जे.पी के आंदोलन ने ही उन्हें पहचान दी और संगठन दिया।

जे. पी वंशवाद के खिलाफ थे -  लेकिन संपूर्ण क्रांति के अधूरे नायक  के शिष्य चुनाव में भी अपने-अपने परिवारों को बढ़ावा देने में जुटे हैं।
लालू यादव  ने अपने दोनों बेटों को चुनाव मैदान में उतारा है।
राम विलास पासवान  भी अपने बेटे को आगे बढ़ा रहे हैं। पार्टी के ज्यादातर टिकट भी पासवान के करीबी रिश्तेदारों को मिले हैं।

देश जाए भाड में इन लोगों को सिर्फ अपनी पडी है वो है सत्ता की भुख !! 

जब मैने पढा की जे.पी. ने जनेउ मुक्त करने की बात की है तो लगा यह सिर्फ पाखंडी था। एक सनातन धर्मी परिवार में जन्म लेने के बाद जिसे संस्कार का पता न हो वो ज्ञानी कैसे हो सकता है। जनेउ चारों वर्ण के लिए है। 
जे.पी का संम्पूर्ण क्रांति नारा मात्र राजनीति कारण रहा है।।


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