एक ऐसी कहानी जो देश के अधिकतर लोगो को पता नहीं है ! आईये जानते है कि - क्या हुआ था कश्मीर में और क्या हुआ था कश्मीरी पंडितो के साथ !
कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा था ! कश्मीर के मूल निवासी सारे हिन्दू थे , कश्मीरी पंडितो की संस्कृति 5000 साल पुरानी है और वो कश्मीर के मूल निवासी हैं, इसलिए अगर कोई कहता है की भारत ने कश्मीर पर कब्ज़ा कर लिया है यह सिरे से गलत है !
अत्याचार की यह दास्ताँ शुरू होती है 14वीं शताब्दी से, जब तुर्किस्तान से आये एक क्रूर आतंकी मुस्लिम दुलुचा ने 60,000 लोगो की सेना के साथ कश्मीर पर आक्रमण किया और कश्मीर में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना की ! दुलुचा ने नगरों और गाँव को नष्ट कर दिया और हजारों हिन्दुओ का नरसंहार किया ! बहुत सारे हिन्दुओ को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया गया ! बहुत सारे हिन्दू जो इस्लाम नहीं कबूल करना चाहते थे, उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या कर ली और बाकी भाग गए या क़त्ल कर दिए गए या इस्लाम कबूल कर मुसलमान बन गए ! आज जो भी कश्मीरी मुस्लिम है उन सभी के पूर्वजो को अत्याचार पूर्वक जबरदस्ती मुस्लिम बनाया गया था !
1947 में ब्रिटिश संसद के "इंडियन इंडीपेनडेंस एक्ट" के अनुसार ब्रिटेन ने तय किया कि तत्कालीन राजा महाराजा जैसा चाहे निर्णय लेने को स्वतंत्र हैं | वे चाहे तो पाकिस्तान के साथ विलय करें अथवा भारत के साथ रहें ! 150 ने पाकिस्तान चुना , किन्तु जब पाकिस्तान ने कवायली फौज भेजकर कश्मीर पर आक्रमण किया तो कश्मीर के राजा ने भी हिंदुस्तान में कश्मीर के विलय के लिए दस्तख़त कर दिए !
बिटीश हकुमत ने उस समय यही कहा था कि राजा ने अगर एक बार दस्तखत कर दिया तो उसके बाद जनमत संग्रह की जरुरत नहीं है ! तो जिन कानूनों के आधार पर भारत और पाकिस्तान बने थे उन नियमो के अनुसार कश्मीर पूरी तरह से भारत का अंग बन गया था, अतः पाकिस्तान का यह कहना कि कश्मीर पर भारत ने जबरदस्ती कब्ज़ा कर रहे है वो बिलकुल झूठ है !
पाकिस्तान आैर हिन्दुस्तान के एक देशद्राही परिवार के कारण फिर शुरू हुआ कश्मीर घाटी को हिदू विहीन बनाने का षड्यंत्र ! सितम्बर 14, 1989 बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य और जाने माने वकील कश्मीरी पंडित तिलक लाल तप्लू का J-K-L-F ने क़त्ल कर दिया ! उसके बाद जस्टिस नील कान्त गंजू की गोली मार कर हत्या कर दी गई ! एक के बाद एक अनेक कश्मीरी हिन्दू नेताओ की हत्या कर दी गयी !
उसके बाद 300 से ज्यादा हिन्दू महिलाओ और पुरुषो की नृशंस हत्या की गयी ! श्रीनगर के सौर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में काम करने वाली एक कश्मीरी पंडित नर्स के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गयी ! यह खूनी खेल चलता रहा और हैरत की बात यह है कि तत्कालीन राज्य एवं केंद्र सरकारों ने इस गंभीर विषय पर कुछ नहीं किया ! ज्ञात रहे उस समय केंद्र में कांग्रेस का शासन था।।
जनवरी 4, 1990 आफताब, एक स्थानीय उर्दू अखबार ने हिज्ब -उल -मुजाहिदीन की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की -
"सभी हिन्दू अपना सामान पैक करें और कश्मीर छोड़ कर चले जाएँ !"
एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र, अल सफा ने भी इस निष्कासन आदेश को दोहराया ! मस्जिदों में भारत और हिन्दू विरोधी भाषण दिए जाने लगे ! सभी कश्मीरी मुस्लिमो को कहा गया कि इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाये !
सिनेमा और विडियो पार्लर वगैरह बंद कर दिए गए ! लोगो को मजबूर किया गया कि वो अपनी घड़ी पाकिस्तान के समय के अनुसार कर लें ! इतना होने के बाद भी कांग्रेस जो केंद्र में थी चुप रही क्यों।
जनवरी 19, 1990 सारे कश्मीरी पंडितो के घर के दरवाजो पर नोट लगा दिया गया, जिसमे लिखा था "या तो मुस्लिम बन जाओ या कश्मीर छोड़ कर भाग जाओ या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ" !
पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने टीवी पर कश्मीरी मुस्लिमो को भारत से आजादी के लिए भड़काना शुरू कर दिया ! सारे कश्मीर के मस्जिदों में एक टेप चलाया गया ! जिसमे मुस्लिमो को कहा गया कि वो हिन्दुओ को कश्मीर से निकाल बाहर करें !
उसके बाद सारे कश्मीरी मुस्लिम सडको पर उतर आये ! उन्होंने कश्मीरी पंडितो के घरो को जला दिया, कश्मीर पंडित महिलाओ का बलात्कार करके, फिर उनकी हत्या करके उनके नग्न शरीर को पेड़ पर लटका दिया गया ! कुछ महिलाओ को जिन्दा जला दिया गया और बाकियों को लोहे के गरम सलाखों से मार दिया गया ! बच्चो को स्टील के तार से गला घोटकर मार दिया गया ! कश्मीरी महिलाये ऊंचे मकानों की छतो से कूद कूद कर जान देने लगी ! और देखते ही देखते कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गई और कश्मीरी पंडित अपने ही देश में विस्थापित होकर दरदर की ठोकर खाने को मजबूर हो गए |
कितनी हैरत की बात है कि कश्मीरी मुस्लिम, एक ओर तो कश्मीरी हिन्दुओ की हत्या करते रहे और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोते भी रहे कि उन पर अत्याचार हुआ है और इसलिए उनको भारत से आजादी चाहिए ! फिर भी केंद्र सरकार कांग्रेस के कान पर जूं नहीं रेंगी।।
कश्मीरी पंडितो के पलायन की कहानी
3,50,000 कश्मीरी पंडित अपनी जान बचा कर कश्मीर से भाग गए ! कश्मीरी पंडित जो कश्मीर के मूल निवासी है उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा और अब कश्मीरी मुस्लिम कहते है कि उन्हें आजादी चाहिए !
यह सब कुछ चलता रहा लेकिन सेकुलर मीडिया चुप रही ! देश के लेखक चुप रहे, भारत का संसद चुप रहा, सारे सेकुलर चुप रहे , मानवाधिकार जो केंद्र के इशारे पर चलता है चुप रहा।।
किसी ने भी 3,50,000 कश्मीरी पंडितो के बारे में कुछ नहीं कहा ! आज भी अपने देश के मीडिया 2002 के दंगो के रिपोर्टिंग में व्यस्त है ! वो कहते है की गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगे हुए थे लेकिन यह कभी नहीं बताते की 750 मुस्लिमों के साथ साथ 310 हिन्दू भी मरे थे और यह भी कभी नहीं बताते कि दंगो की शुरुआत आखिर की किसने, आखिर 59 हिन्दुओं को भी तो गोधरा में ट्रेन में जिन्दा जला दिया था ! हिन्दुओं पर अत्याचार के बात की रिपोर्टिंग से कहते है की अशांति फैलेगी, लेकिन मुस्लिमो पर हुए अत्याचार की रिपोर्टिंग से अशांति नहीं फैलती !
क्या यही है सेकुलर (धर्मनिरपेक्ष) पत्रकारिता ? क्या ज्यादातर पत्रकार सतनातम धर्म "हिन्दू धर्म के नहीं है ?
कश्मीरी पंडितो की आज की स्थिति -
आज 4.5 लाख कश्मीरी पंडित अपने देश में ही शरणार्थी की तरह रह रहे है ! पूरे देश या विदेश में कोई भी नहीं है उनको देखने वाला ! उनके लिए तो मीडिया भी नहीं है जो उनके साथ हुए अत्याचार को बताये !
कोई भी सरकार या पार्टी या संस्था नहीं है जो कि विस्थापित कश्मीरियों को उनके पूर्वजों के भूमि में वापस ले जाने की बात करे ! कोई भी नहीं इस इस दुनिया में जो कश्मीरी पंडितो के लिए "न्याय" की मांग करे ! पढ़े लिखे कश्मीरी पंडित आज भिखारियों की तरह पिछले 24 सालो से टेंट में रह रहे है ! उन्हें मूलभुत सुविधाए भी नहीं मिल पा रही है, पीने के लिए पानी तक की समस्या है !
भारतीय और विश्व की मीडिया, मानवाधिकार संस्थाए गुजरात दंगो में मरे 750 मुस्लिमो (310 मारे गए हिन्दुओ को भूलकर) की बात करते है, लेकिन .........यहाँ तो कश्मीरी पंडितो की बात करने वाला कोई नहीं है क्योकि वो हिन्दू है ! 20,000 कश्मीरी हिन्दू तो केवल धुप की गर्मी सहन न कर पाने के कारण मर गए क्योकि वो कश्मीर के ठन्डे मौसम में रहने के आदी थे !
कश्मीरी पंडितो और भारतीय सेना के खिलाफ भारतीय मीडिया का षड्यंत्र -
आज देश के लोगो को कश्मीरी पंडितो के मानवाधिकारों के बारे में भारतीय मीडिया नहीं बताती है लेकिन आंतकवादियों के मानवाधिकारों के बारे में जरुर बताती है ! आज सभी को यह बताया जा रहा था है की ASFA नामक कानून का भारतीय सेना द्वारा काफी ज्यादा दुरूपयोग किया जाता है , जबकी वास्तव में एेसा नहीं है , कश्मीर में अलगावादी संगठन मासूम लोगो की हत्या करते है और भारतीय सेना के जवान जब उन आतंकियों के खिलाफ कोई करवाई करते है, तो यह अलगावादी नेता अपने खरीदी हुई मीडिया की सहायता से चीखना चिल्लाना शुरू कर देते है, कि देखो हमारे ऊपर कितना अत्याचार हो रहा है !
..................................................
...............................
No comments:
Post a Comment
धन्यवाद
Note: Only a member of this blog may post a comment.