ये कैसी आजादी क्या हिन्दुस्तान के आम नागरीक को बेवकुफ नहीं बनया गया ???
- १५ अगस्त १९४७ को हमारा देश स्वतंत्र नहीं हुआ,एक गुप्त दस्तावेज “सत्ता का हस्तांतरण १९४७” (TRANSFFER OF IMPOWERMENT १९४७) के द्वारा केवल सत्ता का हस्तांतरण हुआ था |
- उक्त दतावेज सन १९९९ तक प्रकाश में नहीं लाया जाएगा |.इसके तहत भारत सरकार को संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों में संशोधन करने का अधिकार नहीं है |
- अप्रैल १९४७ में लन्दन में उपनिवेश देश के प्रधानमंत्री अथवा अधिकारी उपस्थित हुए ,यहाँ के घोषणा पत्र के खंड-३ में भारत की इस इक्षा को निश्चयात्मक रूप में बताया गया है की , (क) भारत ज्यूँ का त्यूँ ब्रिटिश राज का समूह सदस्य बना रहेगा। (ख) ब्रिटिश राष्ट्र समूह के देशो (इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड,दक्षिण अफ्रीका,पकिस्तान तथा श्रीलंका) के स्वेच्छापूर्ण मिलाप का ब्रिटिश सम्राट का चिन्ह (प्रतिक) समझेगा | (ग) सम्राट को ब्रिटिश समूह का अध्यक्ष स्वीकार करेगा |
- भारत की विदेश निति तथा अर्थनिति, भारत ब्रिटिश का उपनिवेश होने के कारण स्वतंत्र नहीं है अर्थात उन्ही के अधीन है |
- नौ सेना के जहाजो में आज भी तथाकथित राष्ट्रिय तिरंगा झंडा नहीं है |
- जार्ज पंचम के भारत आगमन पर उनके स्वागत में गाया गया गान “जन गन मन अधिनायक जय हे” जो की हमारी गुलामी का प्रतिक है को हमारा राष्ट्र गान बनाया गया |
- यदि १५ अगस्त१९४७ को भारत आजाद हुआ तो भारत का प्रथम गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटेन को क्यों बनाया गया ?
- २२ जून १९४८ को भारत के दुसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने निम्न शपथ क्यों ली “मै चक्रवर्ती राजगोपालाचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ की मै सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उनके उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक़ विश्वाश के साथ वफादारी निभाउंगा एवं मै चक्रवर्ती राजगोपालाचारी यह शपथ लेता हूँ की मैं गवर्नल जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सेवा करूंगा” |
- संविधान के अनुच्छेद ३४८ के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय,न्यालय,उच्च न्यायालय तथा संसद की कार्यवाही अपनी राष्ट्र भाषा हिंदी में होने के बजाय इंग्लिश में होगी |
- १४ अगस्त १९४७ को भारतीय स्वतन्त्रा विधि से भारत से दो उपनिवेश बनाए गए जिन्हें “ब्रिटिश कामनवेल्थ” की धारा ९ (१) (२) (३) तथा नं ८ (१) (२) व ३३९ (१) एव ३६२ (१) (३) (५) इसके अतिरिक्त जी-१८ के आर्टिकल ५७६ व ७ के अधीन भारत की स्वतन्त्रा के लिए हानिकारक व अपमानजनक है, इन्हें तोड़ना या भंग करना भारत सरकार की सीमाशक्ति से बाहर की बात है तथा प्रत्येक भारतीय नागरिक इन धाराओं के अनुसार ब्रिटिश नागरिक अर्थात गोरी संतान है |
- भारतीय संविधान की व्याख्या अनुच्छेद 147 के अनुसार गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट १९३५ तथा इंडियन इन्डिपेंड्स एक्ट १९४७ के अधीन ही की जा सकती है-यह एक्ट ब्रिटश सरकार ने लागू किये थे |
- भारत सरकार के संविधान के अनुच्छेद नं ३६६, ३७१, ३७२, व ३९२ को बदलने या रद्द करने का अधिकार की क्षमता भारत सरकार को नहीं है |
- भारत सरकार के पास ऐसे ठोस प्रमाण अभी तक नहीं है जिनसे नेताजी सूभाषचन्द्र बोस की वायुयान दुर्घटना में मृत्यु साबित होती है |
- डंकल व गेट साम्राज्यवाद को भारत में पीछे के दरवाजे से लाने का सुलभ रास्ता बनाया गया है ताकि भारत की सत्ता फिर से इनके हाथो में आसानी से सौपी जा सके |
- हमारे देश के संविधान का आर्टिकल 147 कहता है की यदि ब्रिटिश पार्लियामेंट कोई रेस्लोल्युशन पास कर दे तो वो भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए मान्य होगा। मतलब यदि आज ब्रिटेन का पार्लियामेंट भारत की सत्ता वापस अपने हाथ लेने का कानून पास कर दे तो यह पूर्णतया कानूनी होगा और भारत सरकार को कानूनी तौर पर इसे मनना ही होगा क्योंकि यह संविधान में लिखा है।
- भारत का हर प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते समय एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करता है जिसमें लिखा होता है की वो काउन्सिल (ब्रिटिश पार्लियामेंट) और ब्रिटेन की रानी द्वारा दिए गए आदेश को मानने के लिए बाध्य होगा।
- ब्रिटेन की रानी आज भी कानूनी तौर पर भारत की रानी है , वो अपनी मर्ज़ी से बिना पासपोर्ट और वीजा के भारत आ जा सकती है।
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