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25 March 2015

भारत: हिन्दुस्तान: इण्डिया

नामकरण: 
भारत के तीन आधिकारिक नाम है -  हिन्दुस्तान,   हिन्दी में भारत ,  अंग्रेजी में इण्डिया।  
हिन्दुस्तान  प्राचीन काल ऋषियों द्वारा दिया गया था। प्राचीन काल में यह अरब/ईरान में प्रचलित था, कालान्तर में अधिक प्रचलित हुआ। यह नाम मुगल काल में अधिक प्रचलित हुआ।

हिन्दू शब्द  धर्म की बजाय राष्ट्रीयता के रुप में प्रयुक्त होता था। इस लिए हिन्दुस्तान में जन्म लेने वाला हर इंसान हिन्दु है।

भारतवर्ष को प्राचीन ऋषियों ने हिन्दुस्थान नाम दिया था।  ’’ वृहस्पति आगम ’’ के अनुसार  ’ हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवम्। तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ’।।

अर्थात हिमालय से प्रारम्भ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।
हिमालय के प्रथम अक्षर  ’’ हि ’’  एवं इन्दु का अन्तिम अक्षर  ’’ न्दु ’’ इन दोनो अक्षरों को मिलाकर शब्द बना  ’’ हिन्दु ’’  और यह भूभाग हिन्दुस्थान कहलाया।

भारत नाम एक प्राचीन हिन्दू सम्राट भरत जो कि मनु के वंशज ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र थे तथा जिनकी कथा श्रीमद्धागवत महापुराण में है के नाम से लिया गया है।

इण्डिया नाम की उत्पति अंग्रेजो  ने की थी ।

भारतवर्ष का वैदिक काल से आर्यावर्त "जम्बूद्वीप"  और   "अजनाभदेश" के नाम से भी जाना जाता रहा है। बहुत पहले यह देश सोने की चिड़िया के रुप में जाना जाता था।
भारत का पौरणिक नाम जम्बूद्वीप , आधुनिक दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है।  
भारत के पशिचम में पाकिस्तान , उत्तर-पूर्व में चीन , नेपाल और भूटान है, पूर्व में बांग्लादेश और म्याम्मार और उत्तर पशिचम में अफगानिस्तान देश स्थित है।
हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पशिचम में मालदीव , दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से बंधी है। पूर्व में बंगाल की खाडी है तथा पष्चिम में अरब सागर है। भारत में कई बडी नदियॉ है , जिसमें गंगा नदी भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। अन्य बडी नदियॉ सिन्धु, नर्मदा , ब्रहा्रपुत्र , यमुना , गोदावरी , काबेरी , कृष्णा , चम्बल , सतलज , ब्यास आदि है।

इतिहास :  
प्राचीन हिन्दू पुराणों के अनुसार भारत को एक सनातन देश माना जाता है क्योंकि यह मानव सभ्यता का पहला देश था। श्रीमद्धागवत के पांचवे स्कन्ध में भारत राष्ट्र की स्थापना का वर्णन आता है। भारतीय दर्शन के अनुसार सृष्टि उत्पत्ति के पशचात ब्रहा्रा के मानस पुत्र स्वयंभू मनु ने व्यवस्था सम्भाली। इनके दो पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद थे। उत्तानपाद भक्त ध्रुव के पिता थे। प्रियव्रत के दस पुत्र थे। तीन पुत्र बाल्यकाल से ही विरक्त थे। इस कारण प्रियव्रत ने पृथ्वी को सात भागों में विभक्त कर एक-एक भाग प्रत्येक पुत्र को सौप दिया। इन्ही मे से एक थे आग्रीध्र जिन्हे जम्बूद्वीप का शासन कार्य सौपा गया। वृद्धावस्था में आग्रीध्र ने अपने नौ पुत्रों को जम्बूद्वीप के विभिन्न नौ स्ािानों का शासन दायित्व सौपा। इन नौ पुत्रो में सबसे बडे थे नाभि जिन्हे हिमवर्ष का भूभाग मिला। इन्होने हिमवर्ष को स्वयं के नाम अजनाभ से जोड कर अजनाभवर्ष प्रचारित किया। यह हिमवर्ष या अजनाभवर्ष ही प्राचीन भारत देश था। राजा नाभि के पुत्र थे ऋषभदेव इनके सौ पुत्रो में भरत सबसे बडे एवं सबसे गुणवान थे। ऋषभदेव ने वानप्रस्थ लेने पर उन्हे राजपाट सौप दिया। भारतवर्ष का नाम ऋषभदेव के पिता नाभिराज के नाम अपर अजनाभवर्ष प्रसिद्ध था। भरत के नाम से ही लोग अजनाभखण्ड को भारतवर्ष कहने लगे।
 राष्ट्रीय प्रतीक:
राष्ट्रीय चिन्ह:  भारत सरकार का राष्ट्रीय चिन्ह सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ की अनुकृति है जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है इसे 26जनवरी1950 को अपनाया गया। इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पडते है चौथा सिंह दृष्टिगोचर नहीं है, राष्ट्रीय चिन्ह के नीचे देवनागरी लिपि में ’ सत्यमेव जयते ’ लिखा है।
राष्ट्रीय झंडा:  भारत के राष्ट्रीय झंडे में तीन समांतर आयताकार पट्टीयां है। ऊपर की पट्टी केसरिया रंग की, मध्य की पट्टी सफेद रंग की तथा नीचे की पट्टी गहरे हरे रंग की है। झंडे की लंबाई चौडाई का अनुपात 3ः2 का है। मध्य की सफेद पट्टी पर सारनाथ के सिंह स्तंभ वाले धर्मचक्र की अनुकृति है जिसका रंग गहरा नीला है। चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी के चौडाई जितना है और उसमें 24 अरे है।

राष्ट्रीय गान:  कवि रविन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखित ’ जन-गण-मन ’ के प्रथम अंश को भारत के  राष्ट्रीय गान के रुप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया गया।

राष्ट्रीय गीत: बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखित ’ वंदे मातरम् ’ को राष्ट्र गीत के रुप में अपनाया गया, क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम में ’ वंदे मातरम् ’ गान ने जनता का प्रेरणास्त्रोत था।

भारत सरकार ने देश भर के लिए राष्ट्रीय पंचांग के रुप में शक संवत् को अपनाया है। इसका प्रथम मास ’ चेत्र ’ है और वर्ष सामान्यतः 365 दिन का है। इस पंचांग के दिन स्थायी रुप से अंग्रेजी पंचांग के मास दिनों के अनुरुप ही बैठते है। सरकारी कार्यो के लिए ग्रेगरी कैलेंडर के साथ साथ राष्ट्रीय पंचांग का भी प्रयोग किया जाता है।

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                                                             हिन्दुस्तान,भारत,इंडिया क्या नाम है मेरे इस देशा का




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