मुख्य पृष्ठ

24 December 2015

विक्रम संवत

विक्रम संवत हिन्दू पंचांग में समय गणना की प्रणाली का नाम है। यह संवत ५७ ई.पू। आरम्भ हुआ। सम्राट विक्रमादित्य ने इसे बनाया था। कालिदास इस महाराजा के एक रत्न माने जाते हैं।

बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ। 

महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है । यह बारह राशियाँ बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिसनक्षत्र में होता है। उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष सौर वर्ष से ११ दिन ३ घाटी ४८ पल छोटा है। इसीलिए हर ३ वर्ष में इसमें १ महीना जोड़ दिया जाता है।

विक्रम संवत चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से शुरू होता है।

महीनों के नाम

 महीनों के नाम
 पूर्णिम के दिन नक्षत्र जिसमें चन्द्रमा होता है
 चैत्र
 चित्रा, स्वाति
 बैशाख
 विशाखा, अनुराधा
 जेष्ठ
 जेष्ठा, मूल
 आषाढ़
 पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, सतभिषा
 श्रावण
 श्रवण, धनिष्ठा
 भाद्रपद
 पूर्वाभाद्र, उत्तरभाद्र
 आश्विन
 अश्विन, रेवती, भरणी
 कार्तिक
 कृतिका, रोहणी
 मार्गशीर्ष
 मृगशिरा, उत्तरा
पौष 
 पुनवर्सु, पुष्य
 माघ
 मघा, अश्लेशा
फाल्गुन 
 पूर्वाफाल्गुन, उत्तरफाल्गुन, हस्त

........................
पढे

No comments:

Post a Comment

धन्यवाद

Note: Only a member of this blog may post a comment.